गुरुवार, 26 जून 2025

क्या NASA के वैज्ञानिक भी पढ़ते हैं भगवद गीता? 2025 में सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई

Neyuzaa

जून 2025 की शुरुआत में, सोशल मीडिया पर एक पुराना इंटरव्यू वायरल हुआ — जिसमें एक पूर्व NASA वैज्ञानिक यह स्वीकार करते नज़र आए कि उन्होंने अपने सबसे कठिन मिशन के दौरान भगवद गीता को मार्गदर्शक ग्रंथ की तरह पढ़ा।

इस एक वीडियो क्लिप ने विज्ञान और अध्यात्म के बीच बहस को फिर हवा दे दी — क्या वाकई वैज्ञानिक भी धार्मिक ग्रंथों से जीवन और ब्रह्मांड के उत्तर खोजते हैं?

📺 इंटरव्यू में क्या था?

यह इंटरव्यू था NASA के पूर्व एस्ट्रोफिजिसिस्ट डॉ. ब्रायन कोलमैन का, जो 2003 में अंतरिक्ष में गए एक मिशन का हिस्सा रह चुके हैं। उन्होंने 2011 में एक विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था:

“When logic ends and emotion fails, I open the Bhagavad Gita. It teaches how to function without attachment and think beyond ego — essential in space.”

(“जब तर्क खत्म हो जाते हैं और भावनाएं भी काम नहीं करतीं, तब मैं भगवद गीता खोलता हूँ। ये ग्रंथ सिखाता है कि कैसे अनासक्ति से कर्म करें और अपने अहं से परे सोचें — जो अंतरिक्ष में बेहद ज़रूरी है।”)

“2025 में यह वीडियो भारत के यूट्यूब शॉर्ट्स पर इस कदर वायरल हुआ कि देखते ही देखते लाखों लोग भावनाओं से भरकर प्रतिक्रिया देने लगे।”

“विज्ञान भी वहीं रुकता है, जहां गीता शुरू होती है।”


📖 गीता — सिर्फ धर्म नहीं, जीवन का विज्ञान

भगवद गीता, महाभारत का सार, सिर्फ धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक आत्मिक मनोविज्ञान है। इसमें:

  • कर्मयोग

  • अनासक्ति

  • मन का नियंत्रण

  • मृत्यु और आत्मा की परिभाषा

  • ब्रह्मांड के कार्य-प्रणाली का दर्शन

इन सब पर वैज्ञानिक दृष्टि से विचार किया गया है।


🌍 अन्य वैज्ञानिकों की राय

🔹 रॉबर्ट ओपेनहाइमर (US Atomic Scientist):

जब उन्होंने पहला परमाणु परीक्षण देखा तो कहा था:

“Now I am become Death, the destroyer of worlds.” — Bhagavad Gita, Chapter 11

🔹 Dr. Carl Sagan (Cosmologist):

The Hindu religion is the only one that has spoken of the age of the universe in billions of years — consistent with modern cosmology.”

🔹 Werner Heisenberg (Quantum Physics):

After reading Indian philosophy, especially the Gita, I found it easier to understand quantum mechanics.”


🔬 विज्ञान और गीता — कैसे जुड़ते हैं?

📜 गीता का सिद्धांत 🔬 वैज्ञानिक समानता / सिद्धांत
अनासक्ति से कर्म ऑब्जेक्टिव एक्शन थ्योरी (Action without Bias)
आत्मा अमर है क्वांटम चेतना सिद्धांत (Consciousness as Non-local Energy)
ब्रह्मांड चक्रवात स्वरूप है बिग बैंग और बिग क्रंच (Cyclic Universe Hypothesis)
योग और ध्यान से मन पर नियंत्रण  न्यूरोप्लास्टिसिटी और माइंडफुलनेस थैरेपी
इंद्रियों का संयम सेंसरी न्यूरोमैपिंग और कॉग्निटिव कंट्रोल रिसर्च
मृत्यु एक परिवर्तन है एन्ट्रोपी, ऊर्जा का रूपांतरण, और Consciousness Transfer Models

🧘 ISRO वैज्ञानिकों की मान्यता

भारत के ISRO वैज्ञानिकों ने भी कई बार कहा है कि:

गहन तनाव और निर्णय के समय, भगवद गीता कई वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी। ऐसा कहा जाता है कि चंद्रयान मिशन की तैयारियों के दौरान भी कुछ वैज्ञानिक गीता पढ़ते पाए गए।"

ISRO के एक पूर्व वैज्ञानिक ने 2023 में कहा था कि:

"विज्ञान की कठोरता और गीता की गहराई — जब एक साथ मिलते हैं, तो हर वैज्ञानिक मिशन भी साधना बन जाता है।"

🎓 गीता अब विश्वविद्यालयों में

  • MIT (Massachusetts Institute of Technology) ने गीता को "Ethics & Engineering" कोर्स में शामिल किया

  • पश्चिमी विश्वविद्यालयों में अब भगवद गीता को केवल धार्मिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और मानसिक स्पष्टता के एक ग्रंथ के रूप में पढ़ाया जा रहा है, खासकर बिजनेस निर्णयों से जुड़ी थ्योरी में।

  • IIT खड़गपुर में “Gita and Modern Leadership” पर एक वैकल्पिक विषय पढ़ाया जाता है


🙏 भारत में बढ़ती जागरूकता

2025 में भारत सरकार ने "Gita for Youth" अभियान की शुरुआत की, जिसमें:

  • हर राज्य में 1 लाख छात्रों को गीता की डिजिटल प्रतियां दी गईं

  • वैज्ञानिकों, डॉक्टर्स और इंजीनियरों के बीच “Gita and Professional Life” विषय पर सेमिनार

  • भक्ति ऐप्स में गीता का हिंदी-अंग्रेज़ी ऑडियो वर्जन उपलब्ध कराया गया


💡 क्या विज्ञान और अध्यात्म साथ चल सकते हैं?

यह बहस पुरानी है, लेकिन 2025 की घटनाएं दिखा रही हैं कि:

  • वैज्ञानिक भी जब व्यक्तिगत संघर्ष में होते हैं, तो उन्हें गीता जैसी शिक्षाएं मार्ग दिखाती हैं

  • ब्रह्मांड की उत्पत्ति और अंत की जो चर्चा गीता में है, वह आधुनिक विज्ञान से मेल खाती है

  • योग, ध्यान और संस्कार अब सिर्फ धार्मिक नहीं, वैज्ञानिक टूल बन चुके हैं


🔚 निष्कर्ष:

जहां पहले गीता के श्लोक मंदिरों की घंटियों के साथ गूंजते थे, आज वही श्लोक वैज्ञानिकों के दिमाग को भी दिशा दे रहे हैं।"

NASA जैसे संगठन जहां मानव को ब्रह्मांड में भेजते हैं — वहीं गीता मनुष्य को अपने भीतर के ब्रह्मांड की यात्रा कराती है।

और शायद यही कारण है, कि 2025 में जब अंतरिक्ष में जाने वाले वैज्ञानिक भी कहते हैं:

“गीता पढ़ो — वहाँ वो मिलेगा जो बाहर पूरे ब्रह्मांड में ढूंढते रहोगे।”