
क्या रिपोर्ट ने बताया?
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अनुमान है कि FY 26 (2025‑26) में भारत की GDP ग्रोथ ~6.4% होगी—थोड़ी धीमी, लेकिन विश्वसनीय बनी रहेगी ।
Reuters द्वारा 17–26 जून 2025 के मध्य 51 अर्थशास्त्रियों से इंटरव्यू किया गया।
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FY 27 (2026‑27) में वृद्धि संभावना 6.7% की ओर मोड़े जा रही है ।
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FY 25 (साल 2024‑25) में वृद्धि तेजी से धीमी होकर 6.5% रह गई, जो गुरुतर वैश्विक और घरेलू चुनौतियों का संकेत है ।
2. 📈 वृद्धि कहाँ से आ रही है?
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सरकार द्वारा चलाए गए बड़े पूंजीगत निवेश, जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर, सड़क, रेल, और ऊर्जा परियोजनाओं ने वृद्धि बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
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प्राइवेट सेक्टर का खर्च, हालांकि, पिछड़ गया है—उद्योगों में विस्तार धीमा और रोजगार सृजन संतोषजनक नहीं रहा ।
3. 💼 तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के बावजूद, रोजगार और प्रति व्यक्ति आय के मोर्चे पर भारत को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
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कृषि‑आधारित और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में थोड़ी उछाल देखी जा रही है , लेकिन शहरी क्षेत्रों में रोजगार सृजन धीमा है।
- देश में प्रति व्यक्ति आय की गति और गुणवत्तापूर्ण रोजगार की उपलब्धता को लेकर अर्थशास्त्रियों में लगातार चिंता बनी हुई है।"
4. 💵 RBI का रोल: मार्गदर्शन या जोखिम?
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RBI ने इस साल अब तक कुल एक प्रतिशत तक repo rate में कटौती की है, जिसमें 6 जून को 50 बेसिस पॉइंट की बड़ी कटौती प्रमुख थी
MPC ने अपनी पालिसी स्टैंडिंग को “accommodative” से बदलकर “neutral” कर दिया है—दोबारा कटौती का रास्ता खुला नहीं माना जा रहा
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि अभी ६–७% की वृद्धि दर संसार की तेजी में अग्रणी रख सकती है, और यह आगे भी स्थिरता दिखाएगी ।
5. 🌍 वैश्विक दबाव और व्यापार-बाधाएं
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अमेरिका–भारत व्यापार वार्ता में इन्फ्लैक्स न होने से चिंताएं जाग रही हैं, जो July 9 तक सुखद समझौता ना होने पर समस्याएं बढ़ा सकती हैं ।
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वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं, टैरिफ की आशंका और स्थानीय उत्पादन‑विकास सभी मिलकर भविष्य की वृद्धि को चुनौती दे रहे हैं।
6. 🧠 विश्लेषक क्या कह रहे हैं?
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Indranil Pan (Yes Bank):
"सरकारी पूंजीगत खर्च ने वृद्धि को बनाए रखा है, लेकिन जब ये धीमा होगा, तब निजी निवेश कमजोर रहेगा"
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Dhiraj Nim (ANZ):
"यदि व्यापार समझौते में प्रगति हुई, तो FY26‑27 की वृद्धि दर बढ़कर 6.7%–6.8% जा सकती है"
7. 🔮 आगे क्या संभावनाएं हैं?
जोखिम | प्रभाव |
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निजी निवेश में देरी | यूपीआई, स्टार्टअप्स और विनिर्माण प्रभावित |
नौकरियों की कमी | उपभोग पर दबाव बनेगा (per capita income पर असर) |
वैश्विक मंदी | निर्यात, विदेशी निवेश, और रुझान प्रभावित होंगे |
RBI की संतुलन नीतियां | ज्यादा कटौती संभव नहीं, लेकिन तरलता बनी रहेगी |
कृषि और ग्रामीण मांग | अच्छा रास्ता बना सकता है, लेकिन पर्याप्त नहीं |
भारत अब भी दुनिया की तेज़ी से बढ़ती मुख्य अर्थव्यवस्थाओं में पहला बना हुआ है। लेकिन:
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यह वृद्धि सरकारी खर्च पर निर्भर रही, जबकि निजी निवेश कमजोर है।
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रोजगार सृजन धीमा, विशेषकर युवाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
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अंतर्राष्ट्रीय समझौते और वैश्विक नीतियाँ आगे के विकास के लिए निर्णायक होंगी।
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RBI की नीति संयमित रही, लेकिन वृद्धि में समर्थन देने की तैयारी स्पष्ट है।
📌 अगर निजी क्षेत्र निवेश में जुटे, रोजगार बढ़े, और वैश्विक व्यापार में सकारात्मक प्रगति हो, तो FY 27 तक भारत बल्कि बहुत तेजी से आगे बढ़ सकता है।