नई दिल्ली: राजधानी की सड़कों पर बसा हुआ है दिल्ली का जाना-माना फूटपाथ बाजार, जो हर रोज हजारों लोगों को सस्ते दामों पर कपड़े, जूते, मोबाइल एक्सेसरीज़ और रोज़मर्रा के सामान उपलब्ध कराता है। लेकिन इस चहल-पहल भरे बाज़ार की चकाचौंध के पीछे छिपी है एक कड़वी हकीकत — गंदगी, बदबू और चोरी का आतंक, जिससे दुकानदार और ग्राहक दोनों परेशान हैं।
दिल्ली के फूटपाथ बाजारों की सबसे बड़ी ताकत है — हर जरूरत का सामान एक ही जगह मिल जाना। लोग दूर-दूर से यहां खरीदारी करने आते हैं, लेकिन उनके कदम अक्सर रुक जाते हैं क्योंकि बाजार की सड़कों पर फैला कूड़ा, प्लास्टिक, सब्जियों के अवशेष और फेंकी हुई खाने-पीने की चीज़ें माहौल को बदबूदार बना देती हैं।
दुकानदार रामपाल शर्मा बताते हैं,
"सुबह दुकान लगाते ही सबसे पहले बदबू से सामना होता है। मच्छर, मक्खी और कभी-कभी आवारा कुत्ते भी कूड़े में मुंह मारते हैं। ग्राहक आते हैं और बिना खरीदी किए चले जाते हैं।"
🟫 प्रशासन करता है सफाई, पर जरूरत है बार-बार निगरानी की
दिल्ली नगर निगम (MCD) द्वारा दिन में एक बार सफाई जरूर की जाती है, लेकिन बाजार की भीड़ और दुकानों की संख्या को देखते हुए यह व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है। कूड़ा इकट्ठा करने वाले वाहन देर से आते हैं और कभी-कभी आते ही नहीं।
एक महिला दुकानदार रीना वर्मा कहती हैं,
"सफाईकर्मी आते हैं लेकिन देर से, और तब तक सारा कचरा फैल चुका होता है। ग्राहक नाक बंद करके निकल जाते हैं। बार-बार कहने के बाद भी तुरंत सफाई नहीं होती।"
🟫 सबसे बड़ी समस्या: चोरी
गंदगी से भी बड़ी चिंता दुकानदारों को एक और चीज सता रही है — वो है हर रोज हो रही चोरी। भीड़भाड़ का फायदा उठाकर चोर दिन-दहाड़े दुकानों से मोबाइल, पैसे और कीमती सामान उड़ा लेते हैं।
दुकानदार रईस अहमद ने कहा,
"भीड़ में ग्राहक के भेष में चोर आते हैं। बातचीत में उलझाते हैं और देखते ही देखते कैश या माल लेकर गायब हो जाते हैं। जब तक समझ आता है, तब तक देर हो चुकी होती है।"
🟫 दुकानदारों ने कहा – प्रशासन से कोई शिकायत नहीं
दिलचस्प बात यह है कि दुकानदारों को प्रशासन से खास दिक्कत नहीं है।
उनका कहना है कि पुलिस की गश्त भी होती है, MCD की गाड़ी भी आती है, लेकिन चोरों के लिए कोई ठोस समाधान अब तक नहीं निकला है।
दुकानदार संजय कपूर का कहना है,
"हम प्रशासन से संतुष्ट हैं। सफाई होती है, पुलिस आती है, पर चोरों का कोई इलाज नहीं। चोरी पकड़ना मुश्किल हो गया है क्योंकि ये लोग भी अब शातिर हो गए हैं।"
🟫 CCTV भी है लेकिन बेअसर
ज्यादातर दुकानदारों ने खुद के पैसे से CCTV कैमरे लगाए हैं, लेकिन चोरों की चालाकी इतनी बढ़ गई है कि कैमरों में भी उनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है। कई बार चोर नकाब पहनकर आते हैं, या कैमरे का एंगल ही बदल देते हैं।
🟫 क्या है समाधान?
बाजार के व्यापारियों ने कुछ सुझाव दिए हैं:
हर गली और क्रॉसिंग पर पुलिस चौकी होनी चाहिए।
सादे कपड़ों में पुलिस जवान तैनात हों।
रात के समय स्पेशल पेट्रोलिंग की व्यवस्था हो।
दुकानदारों को सतर्क रहने की ट्रेनिंग मिले।
प्रशासन को ड्रोन या हाई-क्वालिटी कैमरे लगाने चाहिए।
🟫 ग्राहक भी हो गए हैं सतर्क
एक ग्राहक ने कहा,
"हम खरीदारी करने आते हैं लेकिन पर्स, मोबाइल की बहुत चिंता रहती है। थोड़ा नजर हटाओ तो सामान गायब। अब तो जरूरी है कि जेबें बंद रखें और बैग सामने रखें।"
🟫 बाजार की रौनक बची रहे, इसके लिए सहयोग ज़रूरी
दिल्ली के फुटपाथ बाजार सिर्फ खरीदारी की जगह नहीं, बल्कि हजारों लोगों की रोज़ी-रोटी का जरिया हैं। अगर इन बाजारों में चोरी और गंदगी जैसी समस्याएं बढ़ती रहीं तो न सिर्फ दुकानदारों का नुकसान होगा बल्कि ग्राहक भी इन इलाकों से दूरी बनाने लगेंगे।
प्रशासन, पुलिस और दुकानदार — इन तीनों को साथ मिलकर रणनीति बनानी होगी ताकि बाजार सुरक्षित और साफ बना रहे।
दिल्ली के फुटपाथ बाजारों की चमक के पीछे कई समस्याएं छिपी हैं — खासकर गंदगी और चोरी। जबकि प्रशासन पर दुकानदारों का भरोसा बना हुआ है, लेकिन अब वक्त आ गया है कि इन चुनौतियों का स्थायी समाधान निकाला जाए।
क्योंकि अगर बाजार सुरक्षित और स्वच्छ रहेगा, तभी दिल्ली की सड़कें और रौनकदार बनेंगी — और दुकानदारों के चेहरों पर फिर से मुस्कान लौटेगी।