बुधवार, 25 जून 2025

रूस-यूक्रेन युद्ध में नया मोड़: नाटो की सीधी चेतावनी और अमेरिका की मिसाइल डिप्लॉयमेंट से तनाव चरम पर

 

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले ढाई साल से चल रहा युद्ध अब एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है, जहां से पीछे लौटना मुश्किल होता जा रहा है। इस सप्ताह की शुरुआत में अमेरिका ने पोलैंड और लिथुआनिया जैसे देशों में अपने आधुनिक लॉन्ग-रेंज मिसाइल सिस्टम को तैनात कर दिया है। इसके साथ ही नाटो (NATO) ने पहली बार रूस को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि वह बेलारूस के ज़रिए पश्चिमी सीमाओं पर हमला करने की योजना बनाता है, तो उसका जवाब पूरी ताकत से दिया जाएगा।

🪖 अमेरिका की नई सैन्य तैनाती क्या है?

अमेरिका ने अपने 'High Mobility Artillery Rocket Systems' (HIMARS) को पोलैंड और लिथुआनिया में सक्रिय कर दिया है। इसके साथ ही अमेरिका ने F-35 लड़ाकू विमानों की तैनाती भी बढ़ाई है, जिससे अब रूस की पश्चिमी सीमा के सामने अमेरिका की स्ट्राइक पोज़िशन पूरी तरह से तैयार हो गई है।

अमेरिकी रक्षा विभाग (Pentagon) ने बयान जारी करते हुए कहा:

"हमारा उद्देश्य युद्ध को नहीं बढ़ाना है, लेकिन किसी भी संभावित रूसी हमले का जवाब देने की हमारी क्षमता अब और मज़बूत हो गई है।"

📢 नाटो की पहली सीधी चेतावनी

नाटो महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:

“हम रूस को यह स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं कि यदि उसने नाटो देशों के खिलाफ कोई सीधी कार्रवाई की, तो उसे एकजुट और निर्णायक जवाब मिलेगा।”

यह पहली बार है जब नाटो ने सीधे रूस को इस स्तर की चेतावनी दी है। इससे संकेत मिलता है कि अब युद्ध सिर्फ यूक्रेन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसके असर और मोर्चे वैश्विक स्तर पर फैलने लगे हैं।

🧨 परमाणु तनाव का दोबारा उभार

इस बढ़ते सैन्य तनाव के बीच परमाणु हथियारों का मुद्दा भी एक बार फिर चर्चा में आ गया है। रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने कहा है कि अगर पश्चिमी देश यूक्रेन को और ज्यादा घातक हथियार उपलब्ध कराते हैं, तो रूस को अपने सभी विकल्पों पर पुनर्विचार करना पड़ेगा।

यह बयान सीधे तौर पर रूस की परमाणु नीति की ओर इशारा करता है, जो कि “आखिरी विकल्प” के तौर पर जानी जाती है। नाटो और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने भी माना है कि रूस कुछ सीमावर्ती सैन्य बेस पर टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन्स की गतिविधि बढ़ा रहा है।

🌍 यूक्रेन की स्थिति क्या है?

यूक्रेन अब भी बहादुरी से संघर्ष कर रहा है, लेकिन उसे हथियारों, सैनिकों और वित्तीय मदद की लगातार ज़रूरत है। ज़ेलेंस्की ने पिछले हफ्ते एक बार फिर अमेरिकी कांग्रेस और यूरोपीय यूनियन से अपील की कि वे:

  • एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम

  • लंबी दूरी की मिसाइलें

  • और सैन्य फंडिंग में तेजी लाएं

ज़ेलेंस्की ने कहा:

“हम सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि पूरे लोकतांत्रिक विश्व के लिए लड़ रहे हैं। अगर हम हारते हैं, तो यह केवल यूक्रेन की हार नहीं होगी।”

💰 युद्ध का वैश्विक आर्थिक असर

इस पूरे युद्ध का असर अब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर दिखने लगा है:

  • यूरोप में गैस और तेल की कीमतें फिर से बढ़ रही हैं

  • अमेरिका में डिफेंस बजट में 18% की बढ़ोतरी की गई है

  • भारत समेत कई एशियाई देश डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्रा को संभालने में संघर्ष कर रहे हैं

  • वैश्विक निवेशक अब सुरक्षित निवेश (जैसे सोना) की ओर लौट रहे हैं

🇮🇳 भारत की रणनीतिक स्थिति

भारत अब भी इस युद्ध को लेकर तटस्थ लेकिन सक्रिय भूमिका में है। भारत ने रूस और अमेरिका दोनों से बातचीत का रास्ता बनाए रखा है। PM मोदी ने पिछले महीने व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की थी जिसमें उन्होंने युद्ध समाप्ति का सुझाव दिया।

भारत की नीति ‘डिप्लोमैटिक बैलेंस’ पर आधारित है — जहां वह रूस से रक्षा सहयोग बनाए हुए है, लेकिन पश्चिमी देशों के साथ व्यापार और रणनीतिक साझेदारी भी निभा रहा है।

📊 क्या आगे युद्ध और बढ़ेगा?

विश्लेषकों का मानना है कि हालात बहुत नाजुक हो गए हैं:

परिदृश्य                       संभावना  प्रभाव
रूस नाटो क्षेत्र में घुसपैठ करता है                         मध्यम               वर्ल्ड वॉर III जैसी स्थिति
अमेरिका और नाटो रुकते हैं                          कम               रूस का विस्तार बढ़ेगा
यूक्रेन को नई मिसाइलें मिलती हैं                          उच्च               रूस और उग्र हो सकता है
चीन मध्यस्थता करता है                          कम             भरोसा कम, लेकिन मौका ज़रूर

🧠 एक्सपर्ट व्यू:

डॉ. इयान ब्रेमर, भू-राजनीतिक विश्लेषक:

“इस समय दुनिया एक बहुत ही बारीक लाइन पर चल रही है। एक छोटी सी चिंगारी भी वैश्विक युद्ध का रूप ले सकती है।”

भारत के पूर्व राजदूत विवेक कटजू ने NDTV से कहा:

“भारत को अब और ज्यादा मुखर रूप में शांति की पहल करनी चाहिए, क्योंकि अगर यह युद्ध और बढ़ा, तो भारत जैसे देशों पर आर्थिक और रणनीतिक दबाव बढ़ेगा।”


🔚 निष्कर्ष:

रूस-यूक्रेन युद्ध अब किसी एक क्षेत्र तक सीमित संघर्ष नहीं रहा, बल्कि यह पूरी दुनिया के संतुलन को चुनौती दे रहा है। अमेरिका और नाटो की नई सक्रियता, रूस की परमाणु धमकी, और यूक्रेन की लगातार मदद की मांग — सब मिलकर यह संकेत दे रहे हैं कि अगले कुछ महीने निर्णायक हो सकते हैं।

अगर बातचीत नहीं होती, तो सिर्फ यूक्रेन ही नहीं, पूरी दुनिया एक और बड़े युद्ध के मुहाने पर खड़ी हो सकती है।