रविवार, 22 जून 2025

2025 में मौसम का बदलता मिज़ाज: गर्मी, बारिश और ठंड अब पुराने जैसे नहीं रहे

 

एक समय था जब भारत में गर्मी, बारिश और ठंड अपने तय वक्त पर आती थी।

मई मतलब लू, जून में बारिश की शुरुआत, और नवंबर से ठंड।

लेकिन 2025 में ये पुराने पैटर्न खत्म हो चुके हैं।

अब मौसम की बदलती रफ्तार के साथ हमारा शरीर, फसलों का समय, त्योहारों की तिथियाँ, और यहां तक कि दिनचर्या का क्रम भी पूरी तरह बदल चुका है।

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🔹 1. गर्मी आई तो बिजली चली गई


2025 की गर्मी रिकॉर्ड तोड़ रही है। कई शहरों में तापमान 48 डिग्री से ऊपर जा चुका है।

AC और कूलर भी अब राहत नहीं देते, क्योंकि:

दिनभर बिजली नहीं रहती

ज़मीन का तापमान इतना बढ़ चुका है कि दीवारें भी गर्म हो जाती हैं

बच्चों और बुज़ुर्गों को लू लगने के मामले 30% तक बढ़े हैं

गर्मी अब बीमारी बन चुकी है, राहत नहीं।

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🔹 2. बारिश: अचानक आती है, और तबाही छोड़ जाती है


पहले लोग बारिश का इंतज़ार करते थे — अब डरते हैं।

2025 में मॉनसून का कोई तय दिन नहीं है। कभी जून में सूखा, कभी अगस्त में बाढ़।

महाराष्ट्र, बिहार और बंगाल में कई गांव डूब चुके हैं

शहरी इलाकों में 3 घंटे की बारिश पूरे शहर को ठप कर देती है

किसान तय नहीं कर पाते कि बोआई कब करें

बारिश अब उत्सव नहीं, जोखिम बन चुकी है।

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🔹 3. ठंड: कभी है ही नहीं, कभी जानलेवा हो जाती है

2025 की ठंड भी अब भरोसेमंद नहीं रही:

कुछ राज्यों में दिसंबर में गर्म हवाएं

कुछ जगह जनवरी में अचानक -3°C तक तापमान

फ्लू, बुखार और निमोनिया के मामले अधिक

बुज़ुर्गों को सबसे ज़्यादा खतरा — क्योंकि वो मौसम के अचानक बदलाव को संभाल नहीं पाते।

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🔹 4. मौसम का असर सिर्फ शरीर पर नहीं, सोच पर भी है

आपने ध्यान दिया होगा कि:

लोग जल्दी चिड़चिड़े हो जाते हैं

नींद नहीं आती

मानसिक तनाव बढ़ा है

बच्चों की पढ़ाई का ध्यान भटकता है

ये सब मौसम के असंतुलन की वजह से है।

गर्मी जब हद से ज़्यादा हो, या बारिश जब जरूरत से ज़्यादा हो — तो दिमाग़ पर असर होना लाज़मी है।

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🔹 5. जलवायु परिवर्तन अब किताबों का विषय नहीं

पहले "क्लाइमेट चेंज" सिर्फ स्कूल की किताबों और न्यूज़ चैनल की बहसों में था।

अब यह हमारे घर की दीवारों पर, खेत की मिट्टी में, और बिजली के बिल में दिखने लगा है।

AC चलाने से खर्च बढ़ा

फसल खराब होने से आमदनी घटी

टूरिज्म भी प्रभावित — क्योंकि मौसम अनिश्चित है

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🔚 निष्कर्ष: मौसम अब इंसान को बदल रहा है, और बदलाव अभी से चाहिए

2025 का मौसम एक चेतावनी है — अगर हमने अब भी पेड़ नहीं लगाए, प्लास्टिक नहीं रोका, और संसाधनों का दुरुपयोग नहीं छोड़ा, तो आने वाले साल जीवन के लिए संकट ला सकते हैं।

अब समय है कि हर इंसान अपनी जिम्मेदारी समझे — क्योंकि मौसम अब सिर्फ "नेचर" नहीं रहा, यह हमारे फैसलों का आईना बन चुका है।