रविवार, 22 जून 2025

सरकारी योजनाएं 2025 में: असली बदलाव या केवल नाम बदलने का खेल?

 

हर साल भारत में कई सरकारी योजनाएं लागू की जाती हैं — कुछ पुरानी योजनाओं का नाम बदलकर, कुछ का बजट बढ़ाकर और कुछ एकदम नए ढंग से पेश की जाती हैं।

लेकिन 2025 में सवाल ये नहीं है कि योजनाएं कितनी बनीं।

अब असली सवाल यही है — क्या इन कदमों का असर सच में आम लोगों की ज़िंदगी तक पहुंचा है?

इस पोस्ट में हम बिना किसी राजनीतिक चश्मे के देखेंगे कि इन योजनाओं का सच क्या है, और लाभार्थियों का अनुभव कैसा रहा।

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🔹 1. योजना की घोषणा बनाम वास्तविक पहुंच

हर योजना बड़ी घोषणा के साथ आती है —

“योजना से करीब 10 लाख नागरिकों की ज़िंदगी में सीधा सुधार आएगा।

लेकिन ज़मीनी सच्चाई कुछ और कहती है:


लाभार्थी तक फ़ॉर्म ही नहीं पहुँचता


अधिकारी फोन नहीं उठाते


पोर्टल डाउन रहता है


या फिर कागज़ों में ही “सफलता” लिख दी जाती है

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🔹 2. डिजिटल पोर्टल: सुविधा या उलझन?


2025 में लगभग हर योजना का एक पोर्टल है —

लेकिन गाँव के एक मज़दूर से पूछिए कि उसे PM किसान पोर्टल पर खुद कैसे अपडेट करना है?


कुछ लाभार्थियों के पास मोबाइल ही नहीं


कुछ को OTP नहीं आता


कुछ ने रजिस्ट्रेशन किया लेकिन अब 'Reject' लिखा दिखता है


डिजिटल बनाना अच्छी बात है, लेकिन डिजिटल अनपढ़ लोगों को साथ लिए बिना क्या ये समाधान है?


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🔹 3. क्या सिर्फ नाम बदलना ही बदलाव है — या असल काम अब भी बाकी है?


2025 में कई योजनाएं पुराने नाम से हटाकर नए नाम से फिर लॉन्च की गईं:


"प्रधानमंत्री आवास योजना" को कुछ राज्यों में नया नाम मिल गया


"उज्ज्वला योजना" के लाभ नए फॉर्मेट में घोषित हुए


लेकिन सवाल ये उठता है — क्या नए नाम से योजना की पहुंच बेहतर हुई, या सिर्फ क्रेडिट का खेल चला?

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🔹 4. जहां सही हुआ, वहां ज़मीन बदली


यह भी सच है कि कुछ योजनाएं सही तरीके से लागू हुईं:


कुछ जिलों में स्वास्थ्य बीमा योजना से गरीबों का मुफ्त इलाज हुआ


जल जीवन मिशन ने कई गांवों में पाइपलाइन पानी दिया


अब स्वयं सहायता समूह की महिलाएं ऑनलाइन कारोबार चलाने की ट्रेनिंग लेकर डिजिटल दुनिया में कदम बढ़ा रही हैं।

असल बदलाव इसलिए आया क्योंकि ज़मीनी स्तर पर प्रशासन ने सच में मेहनत की — सिर्फ योजना बनाकर छोड़ नहीं दिया गया।

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🔹 5. जनता क्या चाहती है?


लाभार्थी अब जागरूक है —

वो चाहता है:


साफ़ जानकारी


आसान फॉर्म


स्थानीय स्तर पर जवाबदेही


और योजना का तुरंत रियल फायदा


2025 में लोग कहते हैं: “हमें योजना नहीं, उसका असर चाहिए।”

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🔚 निष्कर्ष: योजना तभी सफल है जब उसका लाभ वास्तविक हो

सरकारी योजनाएं चाहे जितनी भी बड़ी दिखें, उनका असली असर तभी माना जाएगा जब 2025 में हर आम इंसान तक वो सीधे, ईमानदारी से और बिना झंझट पहुंचे।

जनता को अब प्रचार नहीं, परिणाम चाहिए —

अगर सरकारें सच में परिवर्तन का असली सम्मान चाहती हैं, तो उन्हें इसकी जड़ तक समझना होगा।